मेरा भ्रष्ट महान
भारत की जनता का सच ये
अब तो बिलकुल स्पष्ट है
जिसके पास है जितना मौका
उतना ही वो भ्रष्ट है !!
ऑटोरिक्शा दिल्ली वाला
मीटर डाउन नहीं है करता
स्टेशन पर है कुली लूटता
नहीं किसी से वो है डरता
दाम भले ही पूरे दे दो
मगर दूधिया ज़हर पिलाता
कंकड़-पत्थर मिले दाल में
जिसको आम आदमी खाता
हस्पताल में दवा नहीं है
मर जाओ गर कष्ट है
जिसके पास है जितना मौका....
जो ना मांगो तो दुकानवाले
पक्का बिल नहीं बनाते
बंद हो चुके टोल बूथ पर
हम-तुम गुंडा-टैक्स चुकाते
माल बेच कर बड़ी कंपनी
गारंटी से नज़र चुराती
नुक्कड़ वाली 'कोचिंग क्लासेज़ '
नक़ल करा कर पास कराती
काम करा देगा चपरासी
चाय पिलाना 'मष्ट' है
जिसके पास है जितना मौका....
ये हमाम है सब नंगे हैं
क्रिकेटर सट्टे पर बिक जाता
और ज़रा नेता को देखो
देश बेच कर माल कमाता
बढ़ई, राज मिस्त्री, लेबर
नज़र बचा कर वक़्त बिताते
और ड्राईवर नब्बे प्रतिशत
गाड़ी से पेट्रोल चुराते
एक करप्शन ही 'सिस्टम' है
बाकी सिस्टम नष्ट है
जिसके पास है जितना मौका....
ये जुगाड़ का देश है यारों
जो भी सब कुछ 'चलता है'
बचपन से हर भारतवासी
रोज़ करप्शन में ढलता है
तोड़ सके जो नियम यहाँ पर
वो ही तो है 'बड़ा आदमी'
नीली बत्ती मालिक, बेबस
चौराहे पर खड़ा आदमी
वर्तमान है पड़ा गर्त में
'फ्यूचर' भी अस्पष्ट है
जिसके पास है जितना मौका....
भ्रष्टाचार हमारा मज़हब
भ्रष्टाचार सही पहचान
भ्रष्ट जहां का आम आदमी
ऐसा अपना हिंदुस्तान
हम वो भारतवासी हैं जो
अपने घर में सेंध लगाएं
आओ हम सब मिल जुल करके
'भ्रष्ट दिवस' त्यौहार मनाएं
जी भर खाओ, जी भर लूटो
गौरव को क्या कष्ट है ?
जिसके पास है जितना मौका
उतना ही वो भ्रष्ट है....
(काला पैसा मेरा टॉनिक
ये सब काम ज़रूरी है
'भ्रष्टाचार' करे हर कोई
मेरी तो 'मजबूरी' है !!)