Tuesday, September 4, 2018

     "कौन"

कौन है जो ख़ून देगा,
कौन सारे दुःख हरेगा,
कौन है इस भीड़ में जो,
मुल्क़ की ख़ातिर मरेगा?

कुछ निगाहें तो घुमाओ,
देख लो हालात क्या हैं;
किस तरफ जाता है भारत,
मुल्क़ में जज़्बात क्या हैं;
कौन नफ़रत के ज़हर को,
कंठ में अपने धरेगा?
कौन है इस भीड़ में जो,
मुल्क़ की ख़ातिर मरेगा?

बांटते अहले वतन को,
जात-मज़हब है बहाना;
वो न मेरे हैं न तेरे,
राजगद्दी है निशाना;
कौन इन गहरी दरारों को,
मुहब्बत से भरेगा?
कौन है इस भीड़ में जो,
मुल्क़ की ख़ातिर मरेगा?

देखता हूँ इस वतन का,
नौजवां अब डर रहा है;
अब ज़ुबाँ ख़ामोश है,
आंखों का पानी मर रहा है;
कौन है वो सूरमा,
ये काल भी जिससे डरेगा?
कौन है इस भीड़ में जो,
मुल्क़ की ख़ातिर मरेगा?

हम ही 'ग़ोरी', हम ही 'ग़जनी',
हम फ़िरंगी हम सिकंदर;
चार हैं बाहर लुटेरे,
लाख हैं भारत के अंदर;
कौन अंदर के लुटेरों से,
भला रक्षा करेगा?
कौन है इस भीड़ में जो,
मुल्क़ की ख़ातिर मरेगा?

(गौरव )
4/9/2018