कुछ तो दुनिया का तौर है यारों,
कुछ मेरा भी मिजाज़ ऐसा है;
बात दिल की ज़बां पे मत लाओ,
मेरे घर का रिवाज़ ऐसा है;
जिसे कह दूं तो ज़लज़ला आये,
मेरे सीने में राज़ ऐसा है;
जो नवाजिश में ज़ख्म देता है,
मेरा ज़र्रानवाज़ ऐसा है;
मुझे उसमें कमी नहीं दिखती,
कुछ मेरा इम्तियाज़ ऐसा है......