कुछ तो दुनिया का तौर है यारों,
कुछ मेरा भी मिजाज़ ऐसा है;
बात दिल की ज़बां पे मत लाओ,
मेरे घर का रिवाज़ ऐसा है;
जिसे कह दूं तो ज़लज़ला आये,
मेरे सीने में राज़ ऐसा है;
जो नवाजिश में ज़ख्म देता है,
मेरा ज़र्रानवाज़ ऐसा है;
मुझे उसमें कमी नहीं दिखती,
कुछ मेरा इम्तियाज़ ऐसा है......
ग़ज़ल और वर्ड वेरिफ़िकेशन में अभी तक की जद्दोजहद पर ग़ज़ल ही भारी पड़ी, इस बात की मुझे ख़ुशी है, आपको भी होनी चाहिए।
ReplyDeleteमगर कब जाने हौसला छूट जाए - सो बेहतर हो अगर आप वर्ड वेरिफ़िकेशन हटा लें।
बहरहाल कहते ख़ूब हैं जनाब आप।
Dear Himanshu ji,
ReplyDeleteI am thankful for your comment, feedback and appreciation. But I could not understand what you mean by 'word verification'. Does it have something to do with the Ghazal or the login to my blog. I would be thankful if you could kindly clarify.