Monday, September 27, 2010

आरती नीली बत्ती की

और नहीं कुछ मांगूं तुझसे,
नीली बत्ती दे दे प्रभुवर,
कलियुग में संताप हरे,
ये हर ले मानव के सारे डर,
और नहीं कुछ मांगूं तुझसे...

दुल्हन के माथे पर टीका,
नीली बत्ती बहुत सजीली,
सत्ता का अधिकार चिन्ह ये,
इसके जैसी लाल न पीली,
ताज मेरी गाड़ी को दे-दे,
हे मेरे करुणा के सागर,
और नहीं कुछ मांगूं तुझसे....

रौंग पार्किंग में गाड़ी,
मैं पार्क करूं जियरा हर्षाये,
गाड़ी छोड़ बेधड़क घूमूं ,
चोर पुलीस निकट नहीं आये,
जाम लगा हो चाहे जितना,
गाड़ी दौड़े सर सर सर सर,
और नहीं कुछ  मांगूं तुझसे...

कोई भी ऑफिस हो,
मेरी गाड़ी उसमें झट घुस जाए,
वन वे हो या बंद सड़क,
गाड़ी उसमें सरपट  घुस जाए,
मैं अन्दर बैठा हूँ ,
मुझको पब्लिक देखे आँखें भर-भर,
और नहीं कुछ मांगूं तुझसे.....

जिसको चाहे ठोकर मारूं,
मुझसे मगर कोई ना उलझे,
जुतिया के अन्दर करवा दूं,
पागल अगर कोई आ उलझे,
दायें-बाएं सब हो जाएँ,
जब बज जाए मेरा हूटर,
और नहीं कुछ मांगूं तुझ से...

आगे की गद्दी पर मेरी,
मेरा गनर बहुत ही साजे,
मेरे लिए सजे हर महफ़िल,
और बजें सब गाजे-बाजे,
मुख्य अतिथि बन चढूं मंच पर,
घंटा बोलूँ ढाई आखर,
और नहीं कुछ मांगूं तुझसे...

छोटे-छोटे नेताओं को,
माई बाप तुल्य मैं मानूं,
बिन मुद्रा के फाइल करना,
भीषण पाप तुल्य मैं जानूं,
नीली बत्ती मिल जाए तो,
भर जाए मेरा खाली घर,
और नहीं कुछ मांगूं तुझसे...

बड़े बड़े राजे महराजे,
मेरे घर रिश्ता ले आयें,
बर्फी घेवर कलाकंद,
काजू किशमिश पिश्ता ले आयें,
जनपद मेरी महिमा गूंजे,
मिले मुझे भयमिश्रित आदर,
और नहीं कुछ मांगूं तुझसे...

यू पी एस सी टॉप करा दे,
बन जाऊं मैं लाला साहेब,
मनुजों में मैं  द्विज बन जाऊं,
नीली बत्ती वाला साहेब,
छोटी सी इच्छा नारायण,
बलिहारी जाऊं पूरी कर,
और नहीं कुछ मांगूं तुझसे,
नीली बत्ती दे दे प्रभुवर,
और नहीं कुछ मांगूं तुझसे,
नीली बत्ती दे-दे प्रभुवर...

(नीली बत्ती के अभिलाषी भक्तजन इस आरती को रोज़ सुबह स्नानोपरांत एक बार पूरी गायें I साथ ही तर्जनी में सवा सात रत्ती का पुखराज धारण करें I अवश्य नीली बत्ती की प्राप्ति होगी...)

6 comments:

  1. Well done Gaurav! Congrats!You remind me of Kaka Hathrasi.
    Wish more of it in future and then a book of such poems/essays!
    BMS Bisht
    Retd GM/Rlys

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  2. adbhut. kahate hai rachna apna shilp aur bhasha talas leti hai. neeli batti me sach lag raha hai. ye aam bhasha me badi rachna hai. salam karta hoon.
    akhilesh tiwari
    sr reporter
    hindustan
    agra

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  3. thanks everybody. I have tried to demystify the much desired and all too ubiquitous "Neeli Batti".

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