क्या जानूं देहरी पर मेरी,
बैठेगी जाने कब चिड़िया,
खुल जाए किस्मत का ताला,
बात मेरी माने जब चिड़िया,
चिट्ठी लिख - लिख हाथ थका,
पर चट्ठी पर चिड़िया न बैठी,
चिट्ठी सड़ी डाक में मेरी,
चिड़िया रूठी, चिड़िया ऐंठी,
सोच रहा हूँ मैं आएगी,
मुझको बहलाने कब चिड़िया,
खुल जाए ..
चिट्ठी नीली स्याही से थी,
चिड़िया काली स्याही मांगे,
मेरी स्याही देसी चिड़िया,
यू एस वाली स्याही मांगे,
नियम बहुत सारे हैं भाई,
आये बतलाने कब चिड़िया?
खुल जाए ..
फाइल में मेरी दुनिया है,
चिड़िया उस पर बीट कर रही,
मेरी दुनिया पड़ी मेज पर,
चिड़िया मीटिंग-मीट कर रही,
फाइल मेरी खोलेगी कब,
गाएगी गाने कब चिड़िया,
खुल जाए ..
सब कहते हैं चिड़िया के घर,
बढ़िया सा खाना ले जाऊं,
चिड़िया आखिर चिड़िया ही है,
चिड़िया का दाना ले जाऊं,
ले कर गया, भगाया मुझको,
खाएगी दाने कब चिड़िया?
खुल जाए ..
मिला मुझे चिड़िया का पालक,
पिंजरे के बाहर वो बैठा,
मैंने दाना उसे दिया तो ,
वो भी थोडा-थोडा ऐंठा,
दाना दे कर लौटा सोचूँ,
खाए कब माने कब चिड़िया?
खुल जाए ...
दाना खा कर चिड़िया ने,
मेरी फाइल पर गाना गाया,
जीवन मेरा धन्य हो गया,
दुःख मेरा सारा बिसराया,
अब समझा चिड़िया कब बैठे,
मुझको पहचाने कब चिड़िया,
खुल जाए किस्मत का ताला,
बात मेरी माने जब चिड़िया...
Wednesday, October 13, 2010
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