उनसे दूरी सही-सही ना गयी,
बात दिल की मगर कही ना गयी;
मैंने नज़रों में हाल-ए-दिल लिक्खा,
राज़ की बात अनकही ना गयी;
वो मेरे हो के भी पराये हैं,
चोट दिल पर लगी रही ना गयी;
मेरा मतलब गलत नहीं था पर,
बात उन तक कभी सही ना गयी;
फासलों को मिटा दिया मैंने,
एक दूरी थी बस वही ना गयी....
बहुत बहुत सुन्दर ....बात सीधी और स्पष्ट ...!
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