Tuesday, March 24, 2015

सही पढ़ाई 
माल सभी का अंदर कर लूँ,
ये ए.बी.सी नहीं पढ़ाई,
सब बकवास पढ़ाई मुझको,
नहीं पढ़ाई सही पढ़ाई;

मुझको हर विज्ञान पढ़ाया,
तुलसी और रसखान पढ़ाया,
शासन , सत्ता, अर्थव्यवस्था,
दुनिया भर का ज्ञान पढ़ाया;
पढ़-पढ़ जीवन होम हो गया,
ऐसे चिपकी रही पढ़ाई ,
सब बकवास पढ़ाई मुझको,
नहीं पढ़ाई सही पढ़ाई ;

दूर रहा घर से मैं जा कर ,
फाके करके लइया खा कर ,
फीस भरी लाखों पापा ने ,
मम्मी के गहने बिकवा कर ;
'जॉब-मार्केट' में जब पहुंचा,
सब नाली में बही पढ़ाई;
सब बकवास पढ़ाई मुझको,
नहीं पढ़ाई सही पढ़ाई ;

दिन का मैंने चैन गंवाया,
रातों की भी नींद गंवाई,
रोज़ बाल्टी भर-भर रोया,
ऐसे मैंने डिग्री पायी,
बॉस बना 'डिप्लोमा-धारी',
मेरी सारी ढही पढ़ाई
सब बकवास पढ़ाई मुझको,
नहीं पढ़ाई सही पढ़ाई ;

झूठ पढ़ाया ना मुझको ना,
मक्कारी का सार पढ़ाया,
ना जुगाड़ की ही शिक्षा दी,
ना ही भ्रष्टाचार पढ़ाया;
ना धमकी ना 'सेटिंग' सिखाई,
केवल खाता-बही पढ़ाई ,
सब बकवास पढ़ाई मुझको,
नहीं पढ़ाई सही पढ़ाई ;

'लूट ग्रन्थ' मुझको  पढ़वा दो ,
अरबों-खरबों लूट कमाऊं,
प्रांत बेच दूँ  देश बेच दूँ ,
काले धन के ढेर लगाऊं,
विद्वानों का बैंड बजा दूँ ,
मुझे पढ़ा दो वही पढ़ाई,
सब बकवास पढ़ाई मुझको,
नहीं पढ़ाई सही पढ़ाई..…

1 comment:

  1. सर आपने केवल कविता नहीं एक सच लिखा है, जिससे देश का युवा वर्ग जूझ रहा है...

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